आज हम देखेंगे श्रीकृष्ण ने कंसममा का वध क्यों किया ? श्रीकृष्ण की कितनी पत्निया थी ? राधा और उनका क्या रिश्ता था ? Krishna Janmashtami कब और क्यों मनाई जाती है ?
श्रीकृष्ण विष्णुजी के अवतारोंमे से एक अवतार है। श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ और वो वृन्दावन में पले – बढे है। भगवन कृष्णा का जन्म भाद्रपद महीने में अष्ठमी तिथि में हुआ था। Krishna Janmashtami 2023 में ०६ अगस्त को और ०७ अगस्त को दही हांड़ी मनाई जाएगी। इसलिए हिन्दू धर्म के अनुसार आने वाले भाद्रपद याने अगस्त से सितम्बर महीनेमें आने वाली अष्ठमी तिथि में उनका जमन हुआ था। भगवन कृष्णा के जैम के दिन को श्रीकृष्ण जयंती उत्सव से मनाया जाता है। इस दिन रत को १२ बजे के बाद भगवन कृष्ण की पूजा की जाती है। इस दिन उपवास, जागरण, भक्ति की जाती है। उनकी मूर्ति को पालने में बिठाके की आरती, भक्ति गीत गाए जाते है। श्रीकृष्ण के मूर्ति को नहलाया जाता है। और कपडे पहनाके उनका मनंपसंद माखन उनको खाने के लिए रखा जाता है। श्रीकृष्ण जन्म के दिन घर के द्वार से अंदर की तरफ छोटे छोटे पेअर के निशान बनाये जाते है। इसका अर्थ ये है की श्रीकृष्ण अपने नन्हे पैरो से घर आये।देवकी और यशोधा ये दोनों श्रीकृष्ण की माँ है। श्रीकृष्ण के पिता वासुदेव और माँ देवकी है। लेकिन श्रीकृष्ण को उन्होंने उनके भाई नन्द और यशोदा को सौप दिया था। इसलिए उनके पालक नन्द और यशोधा मैय्या है।
जन्माष्ठमी के दूसरे दिन दही हांड़ी का त्यौहार होता है। इस दिन दही से भरी हांड़ी को फोड़ा जाता है। ऐसा कहा जाता है की श्रीकृष्ण को दही, माखन बहोत पसंद था। उनकी माँ याने देवकी माता दही से भरा मिट्ठी का पत्र कहा पे छुपा कर रखती लेकिन नटखट श्रीकृष्ण ढून्ढ के माखन खा लेते थे।
महाराष्ट्र में ये उत्सव बहोत ही जोरो से मनाया जाता है। सारे युवा पथक इस दिन के लिए महीनों से प्रैक्टिस करते है। इस दिन बड़े बड़े मंडल, नेता दही हांड़ी फोड़ने के लिए पुरस्कार देते है। जो पाठक हांड़ी फोड़ता है उसे कुछ धन राशि पुरस्कार में दी जाती है। ये सब देखने के लिए बड़ी भीड़ लगी रहती है।
इस दिन कृष्णा मंदिर में भक्तों की भीड़ लगि रहती है। इस दिन भगवन कृष्णा की पूजा करने और प्रार्थना करने से अगर घरमे श्रीकृष्ण जल्दीही आ जाते है ऐसा कहा जाता है।
Krishna Janmashtami कब और क्यों मनाई जाती है ?
एक दिन कंस अपनी बहन देवकी को छोड़ने उसके ससुराल जा रहा था तब एक आकाशवाणी हुई की देवकी के ८ वे पुत्र से कंस का वध होगा। ये सुनकर कंस ने वासीदेव और देवकी को बंधी बनाकर रखा । इसी दौरान कंस ने उनके ६ पुत्रोंको मारा डाला। उसके बाद श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। लेकिन भगवन वासुदेव ने भगवन श्रीकृष्ण को किसी तरह से कंस मां से छुड़ाकर अपने भाई नन्द को सौप दिया। लेकिन इसकी भी भनक कंस मां को लग गयी थी। उन्होंने श्रीकृष्ण को मरने का बहोत प्रयास किया लेकिन श्रीकृष्ण के आगे उनकी एक भी न चली। अंत में श्रीकृष्ण ने उनका वध कर दिया और उनकी प्रजा को कंस मां के अत्यचारोंसे छुड़ा लिया। इसलिए श्रीकृष्ण का जन्मदिन ख़ुशी के लिए बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
श्रीकृष्ण के गाने सुनने के लिए इस लिंक पे क्लिक कीजिये। https://www.youtube.com/watch?v=7VE2X8Nns1A
बच्चों को मोबाइल से कैसे दूर रखे ये जानने के लिए इस लिंक पे क्लिक कीजिये। https://dailyindiannews.com/mobile-addiction-in-kids-%e0%a4%ac%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9a%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%87%e0%a4%b2-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%a6%e0%a5%82/
श्रीकृष्ण की कितनी पत्निया थी ?
ऐसा कहा जाता है की श्रीकृष्ण की ८ पत्निया थी। रुक्मिणी,जांबवंती , सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्य, भद्रा और लक्ष्मणा ये उनकी पत्निया थी। लेकिन कृष्णा भगवन का नाम लेतेहि राधा नाम भी मुँह पे आ ही जाता है।
राधा और उनका क्या रिश्ता था ?
कृष्णा का नाम लेते ही राधा कृष्णा ऐसा सामूहिक नाम मुँह पे आ जाता जय। लेकिन राधा उनकी पत्नी नहीं थी। उनको कभी शादी नहीं हुई। राधा उनकी अच्छी मित्र, सलाहगार, विस्जह्वास्पात्र, मार्गदर्शक थी। विवाह तो २ लोगों का होता है। लेकिन राधा और कृष्णा मन से ही थे। इसलिए उनका नाम एकसाथ ही लिया जाता है।
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