बच्चा २ साल होने के बाद भी बोल नहीं रहा? अभीतक उँगलियों से इशारे कर बातें कर रहा है ? हमे बच्चे को स्पीच थेरेपिस्ट के पास कब ले जाये? ये सब आज हम इस आर्टिकल में देखेंगे और समझेंगे।
बच्चे को स्पीच थेरेपिस्ट के पास कब ले जाये? घरमे बच्चा होते ही हम बच्चोंकी तुलना जनेअंजाने में दूसरे बच्चे से करते ही रहते ही। अरे ये तो उससे बहोत तेज है , अरे उसने तो ये शुरू भी कर दिया लेकिन अभीतक मेरा बच्चा नहीं कर रहा, मेरा बच्चा कितना तंदुरुस्त है, वो तो बहोत बड़ा दीखता है। जनेअंजानेमे हम हमारे बच्चे की तुलना दूसरे बच्चे से करते है। लेकिन अगर हमारे बच्चा दूसरे बच्चे से कम हो तो हमारा दिल नाराज़ हो जाता है। लेकिन हमे ऐसा नहीं करना चाहिए। हमारे बच्चे की विशेषताएं और दूसरे की विशेषताएं अलग अलग होगी इस बारे में हमे सोचना चाहिए और उसपे ध्यान देना चाहिए। अगर हमारा बच्चा किस चीज़ में पीछे हो तो वो क्यों है इस्पे हमे ध्यान देना चाहिए । हर एक बच्चा अलग होता है। हर एक की विशेषताएं अलग होती है। कोई जल्दी से सब चीज़े कर लेता है। किसकिसीको देर लगती है। तंदुरुस्त बच्चे गर्दन पकड़ना, बैठना , चलना , दौड़ना आसानीसे खुदबखूद कर लेते है। लेकिन जिसका इंतज़ार माता पिता कर रहे होते है वो है अपने बच्चे के मूह से शब्द सुनना । लेकिन कोई कारणों से कई बच्चे बोलने में बहोत देरी करते है। अगर घर का माहौल शांत हो तो बच्चे देरी से बोलणा सीखते है। वैसेही अगर घर में बड़ा परिवार हो बड़े -बुजुर्ग के साथ बच्चे बड़े हो रहे हो तो वो बच्चे जल्दी बोलना शुरू करते है। अगर घर में सिर्फ माता पिता और बच्चा ही रहते हो तो माता पिता ने टाइम निकलकर शुरू से अपने बच्चे से बात करना शुरू कर देना चाहिए। वैसेही बच्चे को बच्चोके बिच खेलने ले जाना चाहिए। इससे बच्चे बच्चो के साथ रहकर होशियार हो जाते है।
अभीतक उँगलियों से इशारे कर बातें कर रहा है ?
अगर आपका बच्चा तंदुरुस्त है। किसी तरह की बीमारी उसको न हो। सब बाते समझ पा रहा है। ईशारोंसे बता पा रहा है। जन्म से चलने तक सब कुछ अगर सही है लेकिन बातें कर नहीं पा रहा है। लेकिन कुछ कुछ बोल रहा है जो आपको समझ नहीं आ रहा है। तो आप फ़िक्र न करे और किसी speech therapist के पास न जाये आप सिर्फ उसके ऊपर ज्यादा ध्यान दे उससे ज्यादा से ज्यादा बात करे। हर जरूरत के चीज़ को क्या बोलते है वो उसको बताना है। रोज रोज उससे ज्यादा बात करने से वो जरूर जल्दी से जल्दी बोल पायेगा।
हमे बच्चे को स्पीच थेरेपिस्ट के पास कब ले जाये?
अगर बच्चा १ साल का होने के बाद कुछ भी आवाज नहीं निकाल पा रहा हो। बिलकुल एक शब्द भी नहीं बोल पा रहा तो उससे पहले तो आप डॉक्टर को जरूर दिखाए। वो आपको योग्य सलाह देंगे।
बच्चे एक साल के हो जाने के बाद उनको बहार एक घंटे के लिए दूसरे बच्चोंके साथ खेलने ले जाना बहोत जरूरी है। जितना हम बच्चो के बारे में ज्यादा सोचेंगे की वो बाहर जेक बीमार हो जायेगा, कुछ लग जायेगा इस सोचसे बच्चे ज्यादा एक्टिव नहीं हो पाते , वो घुलमिलकर नहीं रह पाते। इसलिए बच्चो के साथ खेलने दे। अगर बच्चे गिरेंगे नहीं, बीमार नहीं पड़ेंगे तो उनकी इम्यून सिस्टम भी मजबूत नहीं हो पायेगी। बीमार होंगे तभी उस भीमारी से लड़नेकी ताकत उनमे आ पायेगी। इसलिए बच्चोंको बच्चो कीतरह बड़े होने दे।
हर किसीको लगता है अपना बच्चा सबसे आगे हो। सबसे होशियार हो। बच्चे हो जाने के बाद हम बड़े हो गए वैसेही ये बढ़ जायेंगे ये सोच न रखे। इसके लिए बच्चे हो जाने के बाद माता पिता को बच्चो से बाते करना, उनके साथ खेलना, उनको टाइम देना बहोत जरूरी है।उनकी जरूरते पूरी करने से ज्यादा उनको टाइम देने बहोत जरूरी है।
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अपने बच्चो को वक्त दे उनके साथ खेले और हमेशा अच्छे संस्कार दे। इसपे उनका और मातापिता का भविष्य निर्भर है। आज का हमारा आर्टिकल आपको कैसा लगा ये हमे कमेंट करके जरूर बताये।